Move on with me ever...

Always do that thing whose your heart wanted to be do .

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Saturday, February 20, 2010

आदत के मुताबिक

नियमित रूप से वैश्यागमन करने वाले एक व्यक्ति की आखिरकार शादी हो ही गई। शादी के अगले ही दिन वह रोता हुआ अपने दोस्त के घर पहुंचा ।
- क्या बात है ? रो क्यों रहे हो ? दोस्त ने पूछा ।
-यार, तुम तो जानते हो मैं कैसा आदमी था। आज सुबह जब मैं जागा तो अपनी आदत के मुताबिक मैंने अपनी पत्नी को एक सौ रुपये का नोट थमा दिया ।
अच्छा ! तो यह बात है । देखो, आखिर वह तुम्हारी पत्नी है । उसे समझाओ कि वह तुम्हारे बीते दिनों को भूल जाए और साथ ही उसे विश्वास दिलाओ कि भविष्य में तुम उसके सिवा किसी और की तरफ देखोगे भी नहीं । देखना, वह मान जाएगी यार ..... !  
दोस्त ने दिलासा देते हुए कहा ।
आदमी ने गुस्से से लाल होते हुए कहा - यार, बात वह नहीं है । उसने सौ का नोट रखकर मुझे पचास रुपये वापस कर दिए ................ ।

आलसी

एक ऑफिस में दस बहुत ही आलसी कर्मचारी थे। एक दिन बॉस ने उन लोगों को सुधारने की गरज से एक प्लान सोचा।
- मेरे पास एक बहुत ही आसान काम है जिसके दोगुने पैसे मिलेंगे। तुम लोगों में जो सबसे ज्यादा आलसी होगा उसे ही यह काम दिया जाएगा। जो सबसे ज्यादा आलसी हो वह अपना हाथ उठाए ।
नौ हाथ तुरंत ऊपर उठ गए।
- तुमने हाथ क्यों नहीं उठाया ? बॉस ने दसवें आदमी से पूछा ।
- मुझसे नहीं उठाया जाता ...........

सुखी जीवन का राज

हाल ही में हमारे पड़ोस में एक बूढ़े सज्जन रहने को आये । काफी खुशमिजाज और जवांदिल लगते थे।
एक दिन मैंने उनसे पूछा - आप उम्र के लिहाज से काफी तन्दुरुस्त और खुश दिखते हैं । आपके सुखी जीवन का राज क्या है ?
- मैं रोज तीन पैकेट सिगरेट पीता हूं । शाम को व्हिस्की का अध्दा और बढ़िया मसालेदार खाना खाता हूं। और हां, व्यायाम तो मैं कभी नहीं करता।
- कमाल है । मैं आश्चर्य से भर गया।
मैंने फिर पूछा - वैसे आपकी उम्र क्या होगी ?
- छब्बीस साल ।

तू यहां कैसे ?

संता की बीबी प्रीतो एक दुकान पर पहुंची जहां परिंदे बेचे जाते थे। एक तोते के पिंजरे के आगे कीमत लिखी थी - मात्र 50 रु. ।
प्रीतो ने दुकानदार से पूछा - इसकी कीमत इतनी कम क्यों है जबकि तुम्हारी दुकान पर दूसरा कोई भी तोता 500 रु. से कम का नहीं है।
- दरअसल इस तोते का बोलचाल ठीक नहीं है। यहां आने के पहले यह एक वैश्या के घर में था। इसलिए कभी-कभी अश्लील बातें और भद्दी गालियां बकने लगता है। आप कोई दूसरा तोता ले जाइये, यह आपके घर के लायक नहीं है।
प्रीतो ने दो मिनट सोचा फिर बोली - चलेगा। मैं इसे अपने घर के लायक बना लूंगी। आप तो यही तोता दे दीजिए।
घर लाकर उसने तोते का पिंजरा अपने बेडरूम में टांग दिया और उसके कुछ बोलने का इंतजार करने लगी।
तोते ने शांतिपूर्वक इधर-उधर का मुआयना किया फिर बोला - वाह ! नया घर और नई औरत ! क्या बात है !
- ये तो कोई गाली नहीं है। प्रीतो  ने सोचा ।
थोड़ी देर बाद उसकी दोनों बेटियां कॉलेज से वापस आ गईं ।
उन्हें देखते ही तोता बोला  - दो-दो नई लड़कियां ! क्या किस्मत है बाप !
- इसमें भी ऐसी कोई बुरी बात नहीं बोली है उसने। दुकानदार खांमखा डरा रहा था। प्रीतो ने सोचा ।
शाम को प्रीतो का पति संता घर आया । उसे देखते ही तोता चहक कर बोला - ओए संता ! तू यहां कैसे यार ?

क्या चाहिए था ... ?

एक गांव में बाढ़ आ गई। घरों में पानी भरने लगा तो गांव के लोग जान बचाने के लिए सुरक्षित स्थानों की तरफ चले गये। केवल एक आदमी, जो भगवान का बड़ा भक्त था, अपने घर में फंसा रह गया। जब पानी ज्यादा बढ़ने लगा तो वह छत पर चढ़ गया और भगवान से प्रार्थना करने लगा। तभी एक नाव उसके घर के पास से गुजरी। नाव पर सवार आदमी ने चिल्लाकर उसे नाव पर आने के लिए कहा पर आदमी ने मना कर दिया। बोला - मुझे अपने भगवान पर पूरा विश्वास है। वे मुझे जरूर बचा लेंगे। तुम जाओ।
नाव वाला नाव लेकर चला गया। आदमी फिर प्रार्थना करने लगा। करीब एक घंटे बाद एक मोटरबोट उसकी तरफ आई। मोटरबोट सवार ने भी उस आदमी  से चलने का अनुरोध किया पर उस आदमी ने उसे भी मना कर दिया - नहीं भाई। तुम जाओ । मेरे प्रभु मुझे बचाने अवश्य आएंगे। और फिर प्रार्थना में तल्लीन हो गया।
कुछ देर बाद एक हेलिकॉप्टर वहां से गुजरा। छत पर खड़े अकेले आदमी को देखकर उन्होंने रस्सी उसकी ओर फेंकी और हेलिकॉप्टर पर आने का इशारा किया। पर उस आदमी ने उनकी भी मदद लेने से इनकार कर दिया। बोला - आप लोग चिन्ता न करें । मेरे भगवान मुझे बचा लेंगे।
अंतत: पानी छत पर आ गया और उस आदमी की डूब कर मौत हो गई।
परलोक पहुंचने पर वह सीधा भगवान के सामने जा खड़ा हुआ और फट पड़ा - भगवान ! ये आपने ठीक नहीं किया ! मैंने सच्चे मन से आपकी प्रार्थना की ! आप पर भरोसा किया, इसके बावजूद आपने मुझे नहीं बचाया ! आखिर क्यों ?
भगवान आवेश में आकर बोले - अरे मूर्ख ! मैंने तुझे बचाने के लिए एक नाव, एक मोटरबोट और एक हेलिकॉप्टर भेजा ! अब और तुझे क्या चाहिए था ......... ?

लाल रंग की कमीज

स्पेनिश नौसेना के एक युध्दपोत का कप्तान एक दिन डेक पर टहल रहा था कि तभी उसका सहायक भागता हुआ आया और चिल्लाया - सर ! मैंने अभी अभी दुश्मन का एक युध्दपोत देखा है जो हमारी तरफ आ रहा है ।
कप्तान ने शांतिपूर्वक उसकी बात सुनी, फिर उसे आदेश दिया - जाओ, मेरी लाल कमीज लेकर आओ ।
सहायक उसकी लाल रंग की कमीज ले आया जिसे कप्तान ने पहन लिया।
दोनों जलपोतों के बीच भयंकर युध्द हुआ और अंत में स्पेनिश पोत विजयी रहा। युध्द के बाद, सहायक ने कप्तान से पूछा - सर! मैं आपसे एक बात पूछना चाहता था! आपने युध्द के दौरान लाल रंग की कमीज क्यों पहनी ?
कप्तान ने गर्व भरे ढंग से बताया - ताकि यदि मुझे गोली लगे तो मेरे सैनिक मेरे शरीर से बहता हुआ खून न देख सकें और उनका हौसला न टूटे।
सहायक अपने कप्तान की बहादुरी और बुध्दिमत्ता का कायल हो गया। तभी एक दूसरा सिपाही भागता हुआ आया और बोला - सर, सर ! मैंने अभी दुश्मन के 20 युध्दपोत देखे हैं जो हमारी तरफ आ रहे हैं !
कप्तान, सहायक की ओर मुड़ा और आदेश दिया - जाओ और जाकर मेरी पीले रंग की पेन्ट लेकर आओ.....।

वहीं से......

मनोचिकित्सक बंता खत्री, मानसिक रोगी संता मजूमदार की जांच कर रहे थे।
डा. बंता - मान लो, इस वक्त यदि एक रेलगाड़ी तुम्हारी तरफ तेजी से आ रही हो, तो तुम क्या करोगे ?

संता - मैं अपने हेलीकॉप्टर में बैठूंगा और फुर्र से उड़ जाऊंगा ।

डा. बंता - तुम्हारे पास हेलीकॉप्टर कहां से आएगा ?

संता - वहीं से, जहां से तुम्हारी रेलगाड़ी आएगी ................ !

अनाड़ी

संता और बंता ने ढाबे के बाहर अपनी-अपनी स्‍कूटर खड़ी की और भीतर पहुंचने के बाद वहां खाना खा रहे एक ट्रक वाले की थाली से रोटी उठाकर खाने लगे।
ट्रक वाले ने कुछ नहीं कहा। वह शांति से उठा और बिल देकर बाहर चला गया। उसके जाने के बाद संता-बंता हंसने लगे।
संता : हा-हा, कितना बेवकूफ ट्रक वाला था।
बंता : हा-हा, कितना डरपोक भी था।
तभी वेटर बोला ' और कितना अनाड़ी ड्राइवर भी था...........बाहर आप दोनों की स्‍कूटरों को रौंदता हुआ चला गया।

कैसे जाना ?

एक बार लुधियाना का फर्नीचर व्यवसायी बंतासिंह अपने मित्र संतासिंह के आमंत्रण पर अमरीका गया। एक शाम जब संता कहीं गया हुआ था, वह अकेला ही एक बार में पहुंचा, बीयर की एक बोतल ली और बार के एक कोने में पड़ी टेबल पर जाकर बैठ गया। उसकी टेबल के पास एक कुर्सी और थी जो खाली थी।

कुछ देर बाद एक सुंदर सी युवती उसके पास आकर रुकी । उसने अंग्रेजी में बंतासिंह से कुछ कहा जो उसे  समझ में नहीं आया। बंता ने उसे बैठने का इशारा किया ।

बंता ने अपनी टूटी फूटी अंग्रेजी में उससे बात करने की कोशिश की पर बेकार। वे दोनों ही एक दूसरे की बात समझ नहीं पा रहे थे। आखिरकार बंता ने एक कागज पर बीयर के गिलास का चित्र बनाकर उसे दिखाया जिसे देखकर उसने हां में सिर हिलाया। बंता समझ गया कि लड़की बीयर पीना चाहती है। उसने उसके लिए भी एक बीयर का आर्डर कर दिया। 

पीना खत्म होने के बाद बंता ने एक और कागज पर खाने से भरी प्लेट का चित्र बनाकर उसे दिखाया। उसने फिर हां में सिर हिलाया और बंता ने खाने का आर्डर भी कर दिया।
खाना खाने के बाद, युवती ने एक कागज लिया। उस पर पलंग का चित्र बनाकर वह बंतासिंह को दिखाकर मुस्कराई ।

बंतासिंह ने चकित होते हुए उसके जबाब में हां में सिर हिलाया और बिल चुकाकर चला आया।

इस बात को इतने साल हो गये, आज तक बंतासिंह को यह समझ में नहीं आया कि लड़की ने कैसे जाना कि वह फर्नीचर का कारोबार करता है ........?

प्रश्नपत्र

एक रात, चार कॉलेज विद्यार्थी देर तक मस्ती करते रहे और जब होश आया तो अगली सुबह होने वाली परीक्षा का भूत उनके सामने आकर खड़ा हो गया।

परीक्षा से बचने के लिए उन्होंने एक योजना बनाई।  मैकेनिकों जैसे गंदे और फटे पुराने  कपड़े पहनकर वे प्रिंसिपल के सामने जा खड़े हुए और उन्हें अपनी दुर्दशा की जानकारी दी। उन्होंने प्रिंसिपल को बताया कि कल रात वे चारों एक दोस्त की शादी में गए हुए थे। लौटते में गाड़ी का टायर पंक्चर हो गया। किसी तरह धक्का लगा-लगाकर गाड़ी को यहां तक लाए हैं। इतनी थकान है कि बैठना भी संभव नहीं दिखता, पेपर हल करना तो दूर की बात है। यदि प्रिंसिपल साहब उन चारों की परीक्षा आज के बजाय किसी और दिन ले लें तो बड़ी मेहरबानी होगी।

प्रिंसिपल साहब बड़ी आसानी से मान गए। उन्होंने तीन दिन बाद का समय दिया। विद्यार्थियों ने प्रिंसिपल साहब को धन्यवाद दिया और जाकर परीक्षा की तैयारी में लग गए।
तीन दिन बाद जब वे परीक्षा देने पहुंचे तो प्रिंसिपल ने बताया कि यह विशेष परीक्षा केवल उन चारों के लिए ही आयोजित की गई है। चारों को अलग-अलग कमरों में बैठना होगा।
चारों विद्यार्थी अपने-अपने नियत कमरों में जाकर बैठ गए। जो प्रश्नपत्र उन्हें दिया गया उसमें केवल दो ही प्रश्न थे -

प्र. 1   आपका नाम क्या है ?  (2 अंक)
प्र. 2 गाड़ी का कौनसा टायर पंक्चर हुआ था ? ( 98 अंक )
      अ.  अगला बायां                ब. अगला दायां
      स.  पिछला बायां                द.  पिछला दायां

खरगोश मर गया

एक दिन जब संता घर लौटा तो उसने देखा कि उसका कुत्ता पड़ोसी के पालतू खरगोश को मुंह में दबाये भागता चला आ रहा है। किसी तरह उसने कुत्ते से खरगोश को छुड़ाया। परन्तु खरगोश मर चुका था। यह सोचकर कि कहीं पड़ोसी ने देख लिया तो बवाल खड़ा कर देगा, वह खरगोश को फौरन घर के अंदर ले गया। अंदर ले जाकर उसने खरगोश को अच्छी तरह नहला कर साफ किया। उसके बाल संवारे ताकि कुत्ते के दांतों के निशान दिखाई न दें और पड़ोसी की नजर बचाकर वापस उसके पिंजरे में रख आया ताकि पड़ोसी समझे कि वह अपनी स्वाभाविक मौत मरा है।
कुछ दिनों बाद, एक सुबह, उसकी पड़ोसी से मुलाकात हुई। पड़ोसी ने संता को बताया - भाईसाहब, पिछले दिनों हमारा खरगोश मर गया ?
- कैसे ? कब ? आखिर हुआ क्या था उसे ? संता ने अनजान बनने का ढोंग करते हुए पूछा ।
- क्या हुआ था यह तो पता नहीं । एक दिन उसने अचानक खाना पीना बन्द कर दिया और अगले दिन मर गया।  पड़ोसी ने बताया।
- च..... च........ बहुत बुरा हुआ। संता ने अफसोस जाहिर किया।
- हां ..... उसके बाद तो और भी बुरा हुआ । पड़ोसी ने कहा।
- अच्छा ? उसके बाद क्या हुआ ?
- जिस दिन खरगोश मरा था हमने उसी दिन उसे अपने बगीचे में एक जगह गाड़ दिया था मगर उसके अगले दिन न जाने किस कम्बख्त ने उसे वहां से निकाला, नहलाया-धुलाया और वापस पिंजरे में रख आया ...... !

इससे सिध्द होता है

दर्शनशास्त्र की कक्षा में प्रोफेसर साहब भगवान के अस्तित्व के संबंध में पढ़ा रहे थे।
- क्या आप में से किसी ने भगवान की आवाज सुनी है ? प्रोफेसर ने छात्रों से सवाल किया।
कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने भगवान को छुआ है ?
फिर से, कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने भगवान को देखा है ?
जब इस बार भी छात्रों की ओर से कोई जवाब नहीं आया तो प्रोफेसर साहब बोले - इससे सिध्द होता है कि भगवान नहीं है ।
एक छात्र से नहीं रहा गया। उसने हाथ उठाकर प्रोफेसर से बोलने की अनुमति मांगी। अनुमति मिलने पर वह प्रोफेसर साहब की डेस्क के पास आकर छात्रों को संबोधित करते हुए बोला - क्या किसी ने प्रोफेसर साहब के दिमाग की आवाज सुनी है ?
कोई नहीं बोला ।
- क्या किसी ने प्रोफेसर के दिमाग को छुआ है ?
फिर से, कोई नहीं बोला।
- क्या किसी ने प्रोफेसर के दिमाग को देखा है ।
कोई आवाज नहीं आई ।
तब छात्र ने निष्कर्ष बताया - इससे सिध्द होता है कि प्रोफेसर साहब के दिमाग है ही नहीं

सौ साल

मोहन : यार कोई ऐसा उपाय बता कि मैं सौ साल तक जिंदा रहूं।
गोपाल : बहुत आसान है। तीन दिन में एक बार भोजन कर और तीन-चार शादियां कर ले।
मोहन : क्या इससे मैं सौ साल तक जिंदा रहूंगा ?
गोपाल : नहीं, पर इससे तुम जल्दी ही सौ साल के लगने लगोगे ........!

वह क्या चीज थी

एक दिन संतासिंह अपनी मोटरसाइकिल पर पाकिस्तान से हिंदुस्तान आते समय बॉर्डर पर पकड़ा गया। उसने अपने कंधे पर एक बड़ा सा बैग लटका रखा था।
दरोगा बंतासिंह ने कड़ककर पूछा - इस बैग में क्या है ?
संतासिंह ने नम्रतापूर्वक जवाब दिया - रेत है साबजी ।
परन्तु दरोगा बंतासिंह को जवाब से संतोष नहीं हुआ। उसने सिपाहियों को बैग की तलाशी लेने का आदेश दिया। बैग में सचमुच रेत के अलावा कुछ नहीं निकला । मजबूरन दरोगा को उसे छोड़ना पड़ा।
कुछ दिनों बाद फिर इसी तरह संतासिंह मोटरसाइकिल पर कंधे पर बैग लटकाए पकड़ा गया । दरोगा बंतासिंह ने फिर बैग की तलाशी ली परन्तु उसमें रेत के अलावा कुछ भी ऐसा नहीं निकला जो आपत्तिजनक हो। संतासिंह फिर छोड़ दिया गया।
फिर तो ऐसा महीने में दो-तीन बार होने लगा। दरोगा बंतासिंह का शक भी बढ़ने लगा पर कोई सबूत हाथ न लगने से संतासिंह हर बार बचकर निकल जाता था। 
लगभग सात-आठ महीने तक यही क्रम चलता रहा फिर एकाएक संतासिंह का आना बन्द हो गया।
कुछ महीने बाद जब बंतासिंह छुट्टी पर आया तब उसने संतासिंह को दिल्ली के एक मंहगे रेस्त्रां में कॉफी की चुस्कियां लेते पकड़ा।
- संता, एक बात बताओ । विश्वास करो यह सिर्फ तुम्हारे और मेरे बीच ही रहेगा।
बंता सिंह ने दोस्ताना लहजे में कहा। - मुझे पूरा यकीन है कि तुम किसी चीज की तस्करी कर रहे थे । पर वह क्या चीज थी जो मेरी नजरें पकड़ नहीं सकीं ? कम से कम रेत तो बिलकुल नहीं थी।
मोटरसाइकिल - संतासिंह ने मुस्कुराते हुए बताया।

कमीज के अन्दर

एक शराबी और उसकी बीबी रात को सो रहे थे। आधी रात को अचानक पति की चीख सुनकर पत्नी की आंख खुल गई। उसने पति से पूछा - क्या बात है ?
पति बोला - कुछ नहीं, मेरी कमीज नीचे गिर गई थी।
खीझ कर पत्नी बोली - तो इतनी जोर से क्यों चीखे ?
पति बोला - उस कमीज के अन्दर मैं भी था ।

चार आदमी काफी हैं

चार आदमी बंता की सास को पीट रहे थे। बंता चुपचाप सामने खड़ा देख रहा था। उसे इस तरह खड़ा देखकर संता से नहीं रहा गया।
वह बंता से बोला - क्या तुम मदद के लिए नहीं जाओगे?
संता बोला - नहीं, चार आदमी काफी हैं।

फोकट में

कार्यालय में सीबीआई अधिकारी को गुमनाम फोन आया कि बंता टालवाले ने लकड़ियों में स्मैक छुपा रखी है। अधिकारी ने कर्मचारियों के साथ छापा मारा और पूरी टाल छान मारी। बंता निरंतर सफाई देता रहा। अधिकारी का शक बढ़ गया तो उसने कर्मचारियों को आदेश दिया। जितने मोटे लटठे हैं सबको चीर कर देखो। कर्मचारियों ने कुल्हाड़ियां उठाईं और सारे लट्ठे फाड़ डाले। कुछ नहीं मिला।
शाम को बंता टालवाले को फोन मिला- कहो गुरू, काम हुआ।
कैसा काम? बंता चकरा गया।
अरे लकड़िया चिर गईं कि नहीं। .....फोकट में।
हां ....... अच्छा । तो तुम्हारा किया धरा था यह सब!
हां, ध्यान रखना गुरू, अब मेरा बगीचा जुतवाने की जिम्मेदारी तुम्हारी है .....

कितना समय लगेगा

एक आदमी एक नाई की दूकान में घुसा और पूछा - "भाई, बाल कटवाने हैं, कितना समय लगेगा ?" दूकान में पहले ही भीड़ थी सो नाई बोला - "लगभग तीन घंटे." आदमी यह सुनकर वापस चला गया.
तीन-चार दिन बाद वही आदमी फिर आया और उसने फिर पूछा - "बाल कटवाने हैं, कितना समय लगेगा ?" नाई ने ग्राहकों को देखकर अंदाज़े से बताया - "दो घंटे तो लग जायेंगे." आदमी फिर वापस चला गया.
तीन-चार दिन बाद फिर वही आदमी आया और नाई के बताने पर कि अभी एक-डेढ़ घंटा लगेगा, फिर वापस चला गया.
अगली बार जब फिर से वही आदमी आया और टाइम पूछकर वापस जाने लगा तो नाई ने अपने सहायक से कहा - "मुन्ना, ये आदमी हर बार कितना समय लगेगा पूछकर चला जाता है, कभी बाल कटवाने लौटकर नहीं आया. ज़रा देख तो ये आखिर कहाँ जाता है. "
थोड़ी देर बाद मुन्ना मुस्कुराता हुआ वापस लौटा. नाई ने पूछा - "क्या हुआ, आखिर कहाँ गया वह आदमी ?"
मुन्ना - "आपके घर....." !!!!

Tuesday, February 16, 2010

Doctor said that..

एक डॉक्टर साहब एक पार्टी में गए । अपने बीच शहर के एक प्रतिष्ठित डॉक्टर को पाकर लोगों ने उन्हें घेर लिया। किसी को जुकाम था तो किसी के पेट में गैस। सभी मुफ्त की राय लेने के चक्कर में थे। शिष्टाचारवश डॉक्टर साहब किसी को मना नहीं कर पा रहे थे।
उसी पार्टी में शहर के एक नामी वकील भी आए हुए थे। मौका मिलते ही डॉक्टर साहब वकील साहब के पास पहुंचे और उन्हें एक ओर ले जाकर बोले - यार ! मैं तो परेशान हो गया हूं। सभी फ्री में इलाज कराने के चक्कर में हैं। तुम्हें भी ऐसे लोग मिलते हैं क्या ?
वकील साहब - बहुत मिलते हैं ।
डॉक्टर साहब - तो फिर उनसे कैसे निपटते हो ?
वकील साहब - बिलकुल सीधा तरीका है । मैं उन्हें सलाह देता हूं जैसा कि वो चाहते हैं। बाद में उनके घर बिल भिजवा देता हूं।
यह बात डॉक्टर साहब को कुछ जम गई । अगले रोज उन्होंने भी पार्टी में मिले कुछ लोगों के नाम बिल बनाए और उन्हें भिजवाने ही वाले थे कि तभी उनका नौकर अन्दर आया और बोला - साहब, कोई आपसे मिलना चाहता है ।
डॉक्टर साहब - कौन है ?
नौकर - वकील साहब का चपरासी है । कहता है कल रात पार्टी में आपने वकील साहब से जो राय ली थी उसका बिल लाया है .......

Bell Santa

बंता के दोनों कानों पर पट्टी बंधी देखकर संता ने कारण पूछा। बंता ने बताया - जब मैं कपड़ों पर इस्तरी कर रहा था कि तभी फोन की घंटी बजी। हड़बड़ी में मैंने फोन की जगह गरम इस्तरी ही कान पर लगा ली जिससे कान जल गया।
ओह ! बहुत बुरा हुआ। - संता ने अफसोस जताया। - लेकिन पट्टी तो दूसरे कान पर भी बंधी है। इसे क्या हुआ ?
उस कम्बख्त ने दो मिनट बाद दुबारा फोन कर दिया ...... !